आज के ब्लॉग में हम बात करेंगे पिछड़े सोच वाले लोगों की ऐसे में अगर क्या आपके सास ससुर रूढ़िवादी हैं तब तो आपको ये लेख ज़रूर पढ़ना ही चाहिए। चलिए अब आगे बढ़ते है।

क्या आपके सास ससुर रूढ़िवादी हैं ? रूढ़िगत सोच समाज और जीवन दोनों को खोखला कर देती है। अगर सोच की ताल – मेल सही से ना बने तो परिवार क्षित – विक्षित हो जाता है।

आज का यह ब्लॉग पूरी तरह से समर्पित है सास – ससुर के रूढ़िवादी सोच के ऊपर। आज मैं महिलाओं को ये बताने वाली हूँ की किस तरह ससुराल वाले की घिसी – पिटी सोच से निजात पाया जाए।

क्या आपके सास ससुर रूढ़िवादी हैं

क्या आपके सास ससुर रूढ़िवादी हैं ? ऐसे में आपको ये ब्लॉग पढ़ना ही चाहिए 🙂

परंपरावादी सोच इंसान को कभी आगे बढ़ने ही नहीं देती है। अक्सर देखा जाता है की सास – ससुर रूढ़िवादी सोच के है तो बहु का जीना मुश्किल हो जाता है।

कई महिलाओं को तो पता भी नहीं होता की वो अनजाने में ही परम्परवादी सोच का शिकार बन रही है।

नीचे बनी तालिका में मैं कुछ ऐसे रूढ़िवादी सोच के उदहारण पेश कर रही हूँ जिसका आप रोजमर्रा की ज़िंदगी में पालन करते हो।

 1. सास – ससुर के सामने घूंघट करना
 2. ससुराल में दबी आवाज़ में बात करना 
 3. ससुराल में बैठने के लिए कुर्सी , मेज या बिस्तर का उपयोग ना करना 
 4. सबके खाने के बाद ही भोजन करना 
 5. सास – ससुर या अन्य घरवालों के सामने पति से बात न करना 
 6. उन वस्त्रों को पहनना जिनमें आपको कम्फर्ट (आराम )ना मिले 
 7. सास – ससुर की हर बात चुपचाप मानते रहना 
 8. घर से लेकर खेत तक के काम अकेले करते रहना 
 9. वंश बढ़ाने की सोच के तहत बेटा पैदा करने के लिए सास – ससुर के बताये गए उपायों को करते रहना 
 10. पति के बिना ससुराल में रहने को विवश होना 

अब मैं ऊपर बनी तालिका में दिए गए बिंदुओं को विस्तार से समझाती हूँ।

 1. सास – ससुर के सामने घूंघट करना

अगर आप अपने ससुराल में घूँघट रखती है तो आप रूढ़िवादी सोच का पालन करती है।

ये सोच बिल्कुल भी गलत है की घूँघट रखने से ही हम बड़ो की इज्जत करते है।

भारत में ऐसे कई जगह है , ऐसे समाज है जहाँ औरतों को आज भी घूँघट प्रथा का पालन करना पड़ता है।

अगर आप भी अपने ससुराल वाले की परम्परावादी सोच के गुलाम है तो इसके खिलाफ आवाज़ ज़रूर उठाये।

2. रूढ़िवादी सास ससुर बहु को ससुराल में ऊंची आवाज़ में बात नहीं करने देते

यदि ससुराल में आपको ऊंची आवाज़ में बोलने के कारण टोका जाता है तो समझ लीजिए की ससुराल वाले रूढ़िवादी सोच के है।

एक महिला के ऊंची आवाज़ में बात कर लेने में कैसे किसी की इज्जत जा सकती है ?

पितृसत्तात्मक वाले समाज में औरतों को हसने , बोलने पर भी पाबन्दी होती है।

तोड़ डालिये इस बंधन को और अपने तरीके से अपनी ज़िंदगी जीना सीखे।

3. रूढ़िवादी सास ससुर बहु को कुर्सी, मेज या बिस्तर का उपयोग नहीं करने देते

क्या आपके ससुराल वाले परम्परावादी हैं जिसके कारण आप कुर्सी, मेज या बिस्तर का उपयोग नहीं करने दिया जाता।

कई ससुराल वाले अपनी बहुओं को बैठने या सोने के लिए ऊंची जगह का उपयोग करने नहीं देते है।

उनके अनुसार बहुओं को ऊंची जगह नहीं देनी चाहिए उनकी जगह पैरों में ही सही है।

4. क्या आपके सास ससुर रूढ़िवादी हैं जिसके कारण सबके खाने के बाद ही आपको भोजन करने मिलता है

बहुत जगह ऐसे नियम होते है की पुरुषों के खाने के बाद ही महिलाओं को भोजन करने को मिलता है।

ये बहुत ही गलत बात है की मर्द के खाने के बाद ही औरत को खाने मिले।

क्या किसी महिला के भूख लगने पर खा लेने से किसी समाज की इज्जत कम हो जाती है ?

 5. सास – ससुर या अन्य घरवालों के सामने पति से बात न करना

आप में से कईयों के ससुराल में ऐसा होगा की आपको सबके सामने पति से बात करने की भी इजाजत नहीं है।

ये किस तरह की सोच है की एक पत्नी का अपने पति से बात करने पर ससुराल वाले की इज्जत खत्म हो जाएगी।

सास – ससुर या कोई और हो तो भी उनके होते आप अपने पति से बोल नहीं सकती।

मैं पूछती हूँ की किस समाज के ठेकेदार ने समाज की इज्जत पति – पत्नी के रिश्तें के ऊपर डाली है।

क्या एक पत्नी का अपने पति से बात कर लेने से घर की इज्जत कम हो जाएगी ?

 6. उन वस्त्रों को पहनना जिनमें आपको कम्फर्ट (आराम )ना मिले

वैसे तो हम आधुनिक दुनिया के हिस्से है पर आज भी ऐसे कई जगह है जहाँ वस्त्र समाज के हिसाब से पहनना पड़ता है।

मनुष्य ने वस्त्र ईजाद किये थे आवश्यकता और आराम के लिए , पर जब इज्जत कपड़े से तय करे तो क्या हो ?

अगर आपको अपनी पसंद के बजाय परम्परागत कपड़े पहनने के लिए कहा जाता है तो ये रूढ़िवादी सोच है।

7. क्या आपके सास ससुर रूढ़िवादी हैं तो ऐसे में उनकी हर बात चुपचाप ना माने

लड़कियों को ये बचपन से ही सिखाया जाता है की ससुराल में सास ससुर की हर बात को मानना।

सास – ससुर की हर बात चुपचाप मानते रहना रूढ़िवादी सोच को बढ़ावा देना है।

जिस काम को करने में आपका मन नहीं मान रहा तो उसे मत करिए।

आप अगर “सास ससुर क्या सोचेंगे ” यह सोच कर चलेंगी तो यकीं मानिये कभी खुश नहीं रह पाएंगी।

8.घर से लेकर खेत तक के काम अकेले करते रहना

कई गावों में अभी भी महिलाएं घर से लेकर खेत तक के सारे काम करती है।

जहाँ तक बात काम की है तो काम करने में कोई बुराई नहीं है।

गलत तो इसमें है जब सास ससुर सारा काम अकेले बहु पर छोड़ दे।

मैंने देखा है की कितनी औरतों को की वो बेजुबान जानवर की तरह काम करती रहती है।

अपने हक़ के प्रति जागरूक हो जाए , बहु होने का ये मतलब बिल्कुल नहीं की आप इंसान नहीं है।

9. क्या आपके सास ससुर रूढ़िवादी हैं जिसके कारण आपको बेटा पैदा करने को बाध्य किया जाता है

परम्परवादी सास ससुर के अनुसार लड़के से ही खानदान का वंश चलता है।

कई ससुराल वाले वंश बढ़ाने की सोच के तहत बेटा पैदा करने के लिए बहु के साथ तरह – तरह के उपाय करते है।

यदि आपके सास ससुर भी इस तरह के रूढ़िवादी सोच को रखते है तो आप सतर्क हो जाए।

10. पति के बिना ससुराल में रहने को विवश होना

अगर आपके पति कही बाहर रहते है तो आपका पूरा हक़ है की आप उनके साथ ही रहे।

आखिर एक पत्नी का असल घर वही होता है जहाँ वो और उसका पति बिना किसी भेदभाव के स्वतंत्र रह सके।

बहुत घरों में ऐसा होता है की लड़की ससुराल में अपने पति के बिना अकेले रहने को मजबूर होती है।

अगर आपके सास ससुर भी आपको अपने पति के बजाय ससुराल में ही रहने को कहते है तो ऐसे में आप उनकी मत सुनिए।

मैंने आपको ऊपर बताया की सास ससुर रूढ़िवादी हैं की नहीं इसकी क्या निशानी है। अब मैं आपको अपने सास ससुर के रूढ़िवादी सोच और मेरे द्वारा उठाये गए कदम को बताने जा रही हूँ।

सास ससुर के रूढ़िवादी सोच के खिलाफ मेरी लड़ाई

अब मैं आप सभी को मेरे संघर्ष की कहानी को बताने जा रही हूँ।

मेरा प्रेम विवाह है और मेरे सास ससुर बहुत ही ज्यादा रूढ़िवादी सोच के है।

यूँ कहुँ तो जो मेरा ससुराल है वो समाज ही परम्परावादी सोच से जकड़ा हुआ है।

महिला और पुरुष में बहुत ज्यादा भेदभाव है।

मेरे ससुराल में पर्दा प्रथा है, ऊंची जगह पर बैठना और ऊंची आवाज़ में बात करना मना है साथ ही घरवालों के सामने पति से बात करना भी मना है।

शुरू – शुरू में मैंने अपने सास ससुर को खुश करने के लिए उनकी बात माननी शुरू कर दी थी।

क्या आपके सास ससुर रूढ़िवादी हैं

ऊपर जो चित्र है वो मेरी खुद की है,आप सबके साथ शेयर कर रही हूँ जिससे आपको ये पता चले की मैं भी इस दौड से गुजरी हूँ और मेरा संघर्ष अभी भी रुका नहीं है 🙂

पर जब मैंने गहराई से सोचा तो समझा की जो गलत है उसे मुझे नहीं करना।

आज अगर मैं ये सब प्रथा और घिसी पीटी सोच को अपने सर पर लादते चलू तो आने वाले समय में क्या होगा ?

जबकि मैं खुद एक पढ़ी – लिखी और समझदार महिला हूँ ,तो मैं गलत चीजों को बढ़ावा नहीं दे सकती।

मैंने ठान लिया जो हुआ सो हुआ पर अब ये नहीं होगा , कम से कम मैं तो नहीं होने दूंगी ये खुद के साथ।

ऐसे तो मुश्किल होता है अकेले ही सदियों से चली आ रही कुप्रथा के खिलाफ खड़ा होना पर मैं खड़ी हूँ।

मेरी इस लड़ाई में मेरे साथ कोई नहीं है पर मैंने हिम्मत नहीं हारी है और आप भी मत हारिए।

आखिर गलत के सामने घुटने टेक देना कहाँ तक सही है ?

ये तो थी मेरी कहानी अब आप भी अपनी कहानी मेरे साथ ज़रूर बाटें मुझे इंतज़ार रहेगा।

दकियानूसी सोच से झुके नहीं अपितु डटकर लड़े 🙂

अगर आपके ससुराल वाले भी घिसी – पिटी सोच को लेकर चलते है तो ऐसे में हिम्मत से काम लीजिये।

परेशान बिल्कुल भी नहीं होना है।

जब भी आप सही के लिए खड़े होंगे तो आप अकेले ही खुद को पाओगे क्योंकि शुरुआत अकेले ही करनी पड़ती है।

अगर सास ससुर आपको ज़बरदस्ती बाध्य करते है उनकी बात को मानने के लिए तो आप झुकिए नहीं।

आपने कभी सोच है की सिर्फ औरतों के लिए ही क्यों ऐसे दकियानूसी सोच है समाज में ?

औरतें पुरुषों पर निर्भर है जिसके कारण ही ये भेदभाव है।

यही से औरतों को दबाने की रूढ़िवादी सोच उत्पन्न हुई।

अपने पैरों पर खड़े होइए , तभी आप इन रूढ़िवादी सोच से बाहर निकल पाएंगी।

आप इसे खत्म कर आज़ादी के साथ जीना चाहती है तो आपको खुद आगे आना होगा।

मैं आपके साथ प्रभात खबर के आलेख शेयर कर रही हूँ इसे ज़रूर पढ़े।

दोस्तों मैंने आज के ब्लॉग “क्या आपके सास ससुर रूढ़िवादी हैं ” इसके बारे में विस्तार से बातचीत की और दूसरे पहलु से भी रूबरू हुए। अगर अभी भी आपके मन में इसे लेकर कोई सवाल है तो उसे कमेंट में ज़रूर बताए या मुझे मेल करे। उम्मीद करती हूँ की आपको मेरा यह ब्लॉग पसंद आया हो मिलते है फिर अगले ब्लॉग पर सशक्त बने और हिम्मत कभी भी ना हारे।

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