आपने कभी सोचा हैं की आखिर बहुओं पे क्यों डाला जाता है बच्चे पैदा करने का दवाब ? शादी हुई नहीं और बस घरवाले और रिश्तेदार का एक ही सवाल खुशखबरी कब सुना रही हो?
ये बिल्कुल ज़रूरी नहीं की शादी किया तो बच्चा पैदा करना ज़रूरी ही है। हमारे समाज में शादी होते ही बहु पर बच्चे पैदा करने का दवाब डाला जाने लगता है। बच्चा तब ही करे जब आप इस ज़िम्मेवारी के लिए तैयार हो।
बहुओं पे क्यों डाला जाता है बच्चे पैदा करने का दवाब ? आज के ब्लॉग में हम इसी मुद्दे पर चर्चा करने वाले है। तो आइये आगे बढ़ते हैं और जानते है इस सोच के पीछे का छुपा हुआ कारण।
बहुओं पे क्यों डाला जाता है बच्चे पैदा करने का दवाब ?
आज के ब्लॉग में हम बात करने वाले है की बहुओं पे क्यों डाला जाता है बच्चे पैदा करने का दवाब ? नीचे बनी तालिका में मैं कुछ ज़रूरी बिंदुओं को दर्शा रही हूँ।
मैंने एक ब्लॉग लिखा है की क्या आपके सास ससुर रूढ़िवादी हैं आप चाहे तो पढ़ सकते है।
1. बहु कही बाँझ तो नहीं है ना इसका पता लगाने के लिए बच्चा पैदा करने के लिए दवाब डालना |
2. वंश आगे बढ़ाने की सोच के कारण बच्चे के लिए दवाब डालना |
3. बच्चा हो जाए तो पति पत्नी का रिश्ता और मजबूत हो जाता है |
4. पोते – पोतियों के साथ खेलने की चाह |
5. समाज के सवाल और तानों से बचने के लिए |
6. शादी हो गयी तो बच्चा भी कर लो |
7. शादी के 1 या 2 साल के अंदर बच्चा पैदा नहीं हुआ तो बच्चा होने में दिक्कत आएगी |
8. 30 के बाद औरत बच्चा पैदा नहीं कर सकती |
9. लड़का जिम्मेदारी के खूटे में बंधेगा तभी कोई रोजगार शुरू करेगा |
10. फलाना की बहु को बच्चा हो गया तो हमारी बहु को भी बच्चे पैदा करना होगा |
11. मरने से पहले पोते – पोती का मुँह देख ले तो सुकून से मर जाएंगे |
अब ऊपर तालिका में दिए गए बिंदुओं पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करते है।
1. बहु कही बाँझ तो नहीं है ना इसका पता लगाने के लिए बच्चा पैदा करने के लिए दवाब डाला जाता है
जी हाँ कई ससुराल वालों की ऐसी सोच होती है इसलिए बच्चे करने के लिए दवाब डालते है।
अगर बहु को बच्चा नहीं हो पाए तो ये तो पता चल जाएगा की वो बाँझ है या उसमे स्वास्थ्य सम्बन्धी खराबी है।
अगर बहु को बच्चा नहीं हुआ तो इससे आसानी से वो अपने बेटे की दूसरी शादी कर सकते है।
2. बहुओं पे वंश आगे बढ़ाने की सोच के कारण बच्चे पैदा करने के लिए दवाब डाला जाता है
ससुराल वाले वंश को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से बहु को गर्भ धारण करने के लिए कहते है।
उनके हिसाब से बहु बस बच्चा पैदा करने की मशीन भर है।
भले ही बहु शारीरिक या मानसिक रूप से अभी माँ बनने के लिए तैयार ना हुई हो पर उन्हें बच्चा तो चाहिए ही।
ऐसा सोच रखने वाले सास ससुर शादी के बाद से ही बहु के ऊपर बच्चे पैदा करने का दवाब डालना शुरू कर देते है।
3. बच्चा के आ जाने से पति पत्नी का रिश्ता और मजबूत हो जाता है
ऐसा कहा जाता है की बच्चे हो जाने से वैवाहिक रिश्ता मजबूत और प्रगाढ़ हो जाता है।
लोगों का मानना है की पति पत्नी के बीच का भावनात्मक रिश्ता बच्चे के होने पर निखर जाता है।
परस्पर प्रेम की डोर और मजबूत हो जाती है और शादीशुदा ज़िंदगी अच्छी खासी चलती है।
बस सास ससुर की यही सोच बहुओं को बच्चा करने के लिए बाध्य करता है।
4. पोते – पोतियों के साथ खेलने की चाह 🙂
बहु के आने के बाद सास ससुर की ये चाह होती है की पोते पोतिया का सुख मिल जाए।
पोते पोती की किलकारी से वो अपना घर रौशन और खुशनुमा होते देखना चाहते है।
अपने इसी इच्छा को पूरा करने के लिए वो बहु को कहने लगते है की वो जल्दी से बच्चा कर ले।
5. समाज के सवालों और तानों से बचने के लिए बहुओं पर बच्चे पैदा करने का दवाब डाला जाता है
कई ससुराल वाले तो बस इसलिए बहु पर बच्चा पैदा करने के लिए दवाब डालते है की लोग क्या कहेंगे।
उनके लिए समाज में अपनी झूठी शान और इज्जत बनाए रखना बहुत ज़रुरी होता है।
कोई ये ना कह दे की आपकी बहु को अभी तक बच्चा क्यों नहीं हुआ।
इसलिए वो पहले से ही बहु पर दवाब बनाने बैठ जाते है ताकि उनकी समाज में इज्जत बनी रहे।
6. शादी हो गयी तो अब बच्चा भी कर लेना चाहिए
बहुओं पे इसलिए डाला जाता है बच्चे पैदा करने का दवाब क्योंकि पृतसत्तात्मक समाज है।
जब शादी उनकी मर्ज़ी से कर ली है तो बच्चे भी उनकी मर्ज़ी से कर लेना है।
माँ बनने का फैसला औरत को खुद लेना चाहिए पर यहाँ ये अनुभव भी दवाब के बोझ तले दबा है।
7. शादी के 1 या 2 साल के अंदर बच्चा पैदा करना है ज़रूरी
ऐसा माना जाता है की शादी के 2 साल के अंदर में लड़की गर्भवती ना हो पायी तो बच्चा होने में दिक्कत आएगी।
इस सोच के कारण बहुओं पर दवाब डाला जाता रहता है की वो जल्दी से बच्चे को जन्म दे।
आजकल माँ बनने की इतनी सारी तकनीक विकसित हो गयी है की कोई भी दम्पति निसंतान नहीं रहते।
8. 30 की उम्र के बाद औरत बच्चा पैदा नहीं कर सकती
वहम कहो या धारणा लोगों के मन में ये बात बैठ सी गयी है।
उनके हिसाब से औरतों को 30 के उम्र के बाद बच्चा होना मुमकिन नहीं है क्योंकि शरीर में चर्बी हो जाती है।
आपने ऐसा अपने आस पड़ोस में या खुद के घर में ही सुना होगा।
9. बच्चे के आने से जिम्मेदारी समझ में आएगी
बच्चे और जिम्मेदारी दोनों को एक ही नजरिये से देखा जाता है।
ये तो बहुत प्रचलित लाइन है “लड़का जिम्मेदारी के खूटे में बंधेगा तभी कोई रोजगार शुरू करेगा “।
मतलब की आप बस बच्चे पैदा कर लो ज़िंदगी में सब ठीक हो जाएगा।
10. फलाना की बहु को बच्चा हो गया तो हमारी बहु को भी बच्चे कर लेना चाहिए
बहुओं पे इसलिए डाला जाता है बच्चे पैदा करने का दवाब क्योंकि पडोसी दादी बन गयी है तो हम कब बनेंगे।
आपने देखा होगा की अगर किसी और के घर में बच्चा हुआ है तो फिर अपने घर में भी बच्चे की किलकारी सुनने की जल्दी हो जाती है।
देखा – देखी समझिये इसे बस बच्चा चाहिए और 1 हो जाये तो फिर 2 ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहता है।
11. मरने से पहले पोते – पोती का मुँह देख ले तो सुकून से मर जाएंगे
कई घरों में तो बच्चा सास ससुर के इमोशनल बातों के कारण होता है।
बहु बेटे को वो कहते रहते है की कुछ दिन के तो मेहमान है अब तो बच्चे का सुख दे दो।
पोता पोती को गोद में खिलाने की ललक के कारण वो बहु को बच्चा करने के लिए कहते है।
मैंने ऊपर आपको बताया की बहुओं पे क्यों डाला जाता है बच्चे पैदा करने का दवाब अब मैं आपको दूसरे पहलू से अवगत करवाती हूँ।
“बेटी नहीं बेटा ही चाहिए ” बीमार सोच
हमारे यहाँ आज भी बेटे के जन्म होने पर जितना ख़ुशी मनाते है उतना बेटी के पैदा होने पर नहीं।
लिंग भेदभाव एक अरसे से चली आ रही है जिसने समाज में लड़का और लड़की के बीच एक दिवार खड़ी कर दी है।
आखिर ये ज़हरीली सोच आयी कहाँ से ?
इतिहास को देखे तो आप पाएंगे की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं थी।
वीरता की बात हो या ज्ञान की हर जगह बेटियों ने बेटो के साथ कदम से कदम मिलकर चला है।
और आज भी बेटियों ने हर जगह मैदान मारा है।
इनसबके बावजूद भी भूर्ण हत्या की दर में कोई कमी नहीं आयी है।
केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) की एक रिपोर्ट में कहा गया कि साल 2001 से 2005 के बीच करीब 6,82,000 कन्या भ्रूण की हत्या हुई।
अर्थात इन चार सालों में रोजाना 1800 से 1900 कन्या भ्रूण की हत्या हुई ।
हालाँकि इसके खिलाफ कानून भी बना है पर इसके बावजूद भी कन्या भूर्ण हत्या होती रहती है।
कानून का पालन तो तब होगा ना जब आप इसके खिलाफ आवाज़ उठाएंगे।
आज भी कई हॉस्पिटल में चोरी – छिपे भूर्ण का लिंग परिक्षण होता है।
हर मेडिकल स्टोर में आराम से ऐसी दवाई मिल जाती है जिससे बच्चे को आसानी से गर्भ में ही मार दिया जाता है।
मेरे हिसाब से तो कानून को थोड़ा और मजबूत करना चाहिए।
इस तरह की दवाई आसानी से नहीं मिलनी चाहिए डॉक्टर की पर्ची अनिवार्य किया जाए इसके खरीदी के लिए।
आप सभी भी अपने घरों में बेटा और बेटी के बीच अंतर ना करें बेटियां किसी से कम नहीं है।
क्या बच्चा पैदा करना ज़रूरी है – मेरी राय
हर औरत चाहती है की वो माँ बने आखिर एक औरत बिना माँ बने पूर्ण नहीं हो पाती।
मैंने समाज में कई औरतों को देखा है की शारीरिक रूप से असक्षम होने के कारण माँ नहीं बन पाती।
ये बहुत दुःख की बात है पर मुझे दुःख इस बात का होता है की लोगों की सोच रक्त सम्बन्ध पर ही अटकी हुई है।
इस दुनिया में ना जाने कितने बच्चे है जिनके माँ – बाप नहीं है तो हम क्यों नहीं ऐसे बच्चों को अपनाकर अपने ज़िंदगी के इस सूनेपन को भरते है ।
किसी भी किताब में ये नहीं लिखा है की माँ आप खुद बच्चा पैदा करके ही बन सकते हो।
सोच बदल कर देखिए तो जीना आसान हो जाएगा।
दोस्तों आज के ब्लॉग में मैंने आपसभी को बताया की आखिर बहुओं पे क्यों डाला जाता है बच्चे पैदा करने का दवाब। आपको इस ब्लॉग से लेकर कोई भी सवाल है या कुछ समझ नहीं आया है तो प्लीज कमेंट बॉक्स में पूछे मैं आपके सवालों का जवाब ज़रूर दूंगी मिलते है फिर नए ब्लॉग पर।

नमस्ते। मेरा नाम दिव्या अरविंद पटेल है। मैं दिव्या दैनिका की संस्थापिका और मुख्य सम्पादिका हूँ। मेरा ब्लॉग मानवीय रिश्तों, विवाहित ज़िन्दगी और लोगो की अंदरूनी पहचान को उभारने के लिए समर्पित है । दिव्या दैनिका के हर लेख के पीछे मेरी खुद की ज़िन्दगी का अनुभव छुपा है।